Sunday 7 April 2013

पगला लड़का

एक लड़का बिलकुल पागल सा वो इक लडकी पर मरता था!
वो प्यार उसी से करता था,
दिन रात उसी की आँखों में वो सपने देखा करता था!
वो लडकी भी प्यारी सी थी, कोमल फूलो सी दिखती थी
उस लडके की बातो में वो दिन भर कोई रहती थी


एक- दुसरे को वो दोनों प्यार बहुत ही करते थे
मौका मिलते ही वो दोनों एक नदी किनारे मिलते थे
वो निदई नही वो गंगा थी, जो सबको पावन करती थी
उनके प्रेम की हर घटना को हर पल देखा करती थी
उनका हंसना-मुस्कुराना, आपस में फिर रूठ जाना
लड़ना-भिड़ना एक हो जाना रोकर फिर गले लग जाना
वो दोनों प्यार में पाग से थे
एक दुसरे के हाथो में हाथ डालकर कहते थे
ये साथ कभी ना छुटेगा, वादा वो दोनों करते थे,
यु ही दोनों मिलते थे , प्यार मोह्हबत करते थे

उस नदी किनारे दोनों ने पहली बार था प्रेम चखा
एक-दुसरे कीसासों को धडकन से यू मिला लिया
ये प्रेम की एक कहानी थी, मदमाती मस्त जवानी थी

आर्यन कोठियाल


ये कविता में कभी इसीलिए आगे नही लिख पाया क्युकी अब वो मुझे छोड़ कर जा चुकी है, ना कोई कारण बताया ना कोई अपना अंतिम संदेश भेजा बस चली गई, अब ये कविता पूरी उस कहानी के साथ होगी जिस कारण वो मुझे छोड़ कर गई इंतजार है उस पल का जब हम दोनों दुबार कंही टकराये  और में पूछ सकू उस से